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Bali, Indonesia

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दोस्तों रोजाना के कामकाज करके आप अगर बोर हो गए हैं और छुटियाँ बिताने कही विदेश जाने का सोच रहे हैं, तो हम आपको एक ऐसा अच्छा विकल्प देने जा रहे हैं जो आपको प्रकृति की गोद का शानदार अनुभव कराएगा और तो और यहाँ का रुपया India के रुपया से इतना सस्ता होगा कि आपको घूमने का और भी मज़ा आ जायेगा। टूरिस्ट प्लेसों में आजकल ये काफी फेमस भी  हो रहा है। दोस्तों हम बात कर रहे हैं Indonesia में स्थित बाली की जो न सिर्फ इंडोनेशिया की सबसे शानदार टूरिस्ट स्पॉट में से एक है बल्कि ये शहर इतना सस्ता है कि यहाँ पर घूमने के मज़े में चार चांद लग जाते हैं। यहां हर तरह के visitors आते हैं, चाहे वो family trip हो या फिर honeymoon trip या फिर किसी भी तरह का सफर हो, बाली में आपको हर तरह के spot मिलेंगे, यहाँ आने की सबसे अच्छी बात तो ये है कि आप इस शहर के साथ साथ किसी दूसरे शहर घूमने का भी प्लान बना सकते हैं क्योंकि इंडोनेशिया में 1 महिने से कम घूमने के लिए visa की जरूरत नही है। तो आइए जानते है बाली की खासियत:- रुपयों का अंतर- बाली की सबसे बड़ी खासियत तो ये है कि इंडिया और बाली के क...

Vijayadashmi

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विजयादशमी विजयादशमी दिन के बारे में कई कहानियां प्रसिद्ध है, उनमे से एक है महिषासुर वध की कथा। महिषासुर रंभासुर का पुत्र था, जो बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था उसने अपने कठोर यज्ञ से ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके उनसे अमरता का वरदान मांगता है, पर ब्रह्मा जी उससे कहते हैं कि इस वरदान के अलावा तुम कुछ और वरदान मांग लो क्योंकि जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है, मैं तुम्हे अमरता का वरदान नही दे सकता, तब महिषासुर ब्रह्मा जी से कहता है कि फिर मुझे ऐसा वर दीजिये की मैं किसी देवता, मानव या दानव के द्वारा न मारा जाऊ, मेरा वध एक स्त्री के हाथों हो, ब्रह्मा जी उसे ये वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए, महिषासुर को इस बात का घमंड था कि स्त्री अत्यंत कमजोर होती है, अतः स्त्री से उसे किसी प्रकार का कोई भय नही है अतः अब कोई भी उसका वध नही कर सकता। ब्रह्मा जी से ये वरदान प्राप्त कर वह उद्यमी महिषासुर पूरे संसार में अत्यंत उत्पात मचाने लगता है, मृत्यु लोक में आक्रमण कर उसपे विजय प्राप्त करने के उपरांत वह इंद्रलोक की तरफ बढ़ा तथा वहाँ भी आक्रमण कर विजयी हो गया। सभी देवतागण भी परेशान हो गए, तब शिवजी, ब्र...

Mahamrityunjay Mantra

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!! ॐ  नमः शिवाय !! महामृत्युंजय मंत्र-  दोस्तों आपने महामृत्युंजय मंत्र तो सुना ही होगा और हो सकता है आप इसे हमेशा सुनते या गाते भी होंगे, पर क्या आप जानते हैं कि इस महा मंत्र के महा गुण क्या है, आइये आज हम बात करते हैं महामृत्युंजय मंत्र के बारे में। महामृत्युंजय मंत्र-                              ॐ त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम,                             उर्वारुकमिव बन्धनान, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात। अर्थ - हम देवो के देव महादेव भगवान शंकर की आराधना करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन का संचार करते हैं, जो अपनी शक्ति से सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण करते हैं, हम उनसे यही प्रार्थना करते हैं कि  वे हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त कर दें, और हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।  जिस तरह एक ककड़ी अपनी बेल में पाक जाने के पश्चात् उस बेल रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है...

Devuthni Ekadashi (gyaras)

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देवउठनी एकादशी  दोस्तों आज मैं आपको देवउठनी एकादशी का महत्त्व  और कथा के बारे में बताने वाली हूँ।  वैसे तो एक साल में 24  एकादशी आती हैं, यानी की हर महीने 2  एकादशी। परन्तु इन सभी एकादशियों में कार्तिक मास  के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है की आज के दिन चार महीनों की निद्रा के पश्चात् श्री हरि  विष्णु जागते हैं, इसलिए आज के दिन को देवउठनी ग्यारस कहते हैं।  इस दिन लोग दिवाली की तरह ही घर में दिए जलाते हैं और पूजा पाठ करते हैं, जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।  एकादशी व्रत कथा - इस कथा के अनुसार, एक शंखासुर नामक दानव बहुत ही बलशाली था और उसने समस्त लोकों में उत्पात मचाया हुआ था। सभी देवी देवता, ऋषि आदि उस दानव से परेशान  होकर विष्णु जी के पास आते हैं और उस दानव से  मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करते हैं। तब विष्णु जी और उस दानव शंखासुर के बीच कई सालों तक युद्ध चला और युद्ध...

Narak Chaturdashi (Chhoti Diwali)

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Narak Chaudas की कथा व  महत्त्व - दोस्तों नरक चौदस, रूप चौदस, नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली  बहुत बार सुने होंगे, और ये दिन दिवाली के एक दिन पहले आता है, ये भी आप लोग जानते ही होंगे, पर क्या आप  इसे मनाने  के पीछे क्या कारण है, अगर नहीं तो आइये जानते है कब और  क्यों मनाई जाती है नरक चौदस। नरक चौदस दिवाली के ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है, इसे रूप चौदस, नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चौदस मनाया जाता है। क्यूँ  मनाते हैं नरक चौदस -  नरक चौदस, रूप चौदस, नरक चतुर्दशी को मनाने  के लिए कुछ कथाएं प्रसिद्द हैं, आइये जानते है कुछ कथाओं के बारे में - शाष्त्रो  के अनुसार इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है, आज के दिन आलस्य और बुराई को ख़त्म करके, घर की साफ़ सफाई करके यमराज देवता के नाम का दिया जलाया जाता है।  इस दिन रात में चौखट के बाहर यमराज के नाम का दिया जलाने से यम देवता प्रसन्न होते हैं, इससे अकाल मृत्यु की संभावनाएं ख़त्म हो जाती ह...

Dhanteras

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क्यों मनाते हैं धनतेरस (Dhanteras )- धनतेरस -  धनतेरस में धन का मतलब है धन, और तेरस का मतलब है 13 (तेरह), ऐसी मान्यता है कि  धनतेरस के दिन कुछ नया सामान खरीदने पर धन 13  गुना बढ़ जाता है।  ये त्यौहार दिवाली से २ दिन पहले मनाया जाता है। धनतेरस कार्तिक माह के त्रयोदशी को मनाया जाता है इस कारण  इसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं। धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी के साथ साथ कुबेर और धन्वंतरी की पूजा होती है।  कुबेर धन के देवता हैं और धनवंतरी  देवताओं के चिकित्सक है तथा स्वास्थ और औषधियों के देवता माने जाते हैं।  इस दिन शाम के समय घरों के चौखट, द्वार, और आंगन को दिए से सजाया जाता है, इस दिन सोना, चांदी, आभूषण और अन्य घर के सामन ख़रीदे जाते हैं जिसे बहुत शुभ माना जाता है। क्यों मनाते हैं धनतेरस- पुराने कथाओ के अनुसार इस दिन ही धनवंतरी भगवान प्रकट हुए थे और जब ये प्रकट हुए थे तब इनके हाथ में अमृत से भरा एक कलश था, चूँकि भगवान् धन्वंतरी  कलश लेकर पैदा हुए थे इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने का भी रिवाज है।  इ...

Karwa chauth vrat katha

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क्या है कहानी करवाचौथ के व्रत की - करवा चौथ का व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है । ये व्रत औरतें अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती हैं । करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागन औरतों द्वारा किया जाता है । करवा चौथ की वैसे तो कई कहानियां लोकप्रिय है , तो आइये जानते हैं करवा चौथ से जुडी हुई कहानी के बारे में  : एक नगर में एक साहूकार रहता था, उसके 7 बेटें और 1 बेटी थी, वो सातों भाई अपनी एकलौती बहन को बहुत प्यार करते थे, और उसकी कोई भी तकलीफ नही देख सकते थे।  कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को साहूकार के परिवार की महिलाओं ने भी व्रत रखा था।जब रात्रि के समय सातों भाई भोजन करने बैठे तो हमेशा की तरह उस दिन भी उनलोगों ने अपनी बहन को भोजन करने के लिए बुलाया । परन्तु उनकी बहन ने ये कहते हुए मना कर दिया की आज करवा चौथ का व्रत है और मैं चाँद को अर्घ्य देकर ही भोजन ग्रहण करुँगी । जब उसके भाइयों ने आसमान की तरफ देखा तो चाँद अभी नहीं निकला था, तो वो लोग नगर के बाहर जाकर वह एक पेड़ पर अग्नि जला दी और घर आकार अपनी बहन से कहा ...