Mahamrityunjay Mantra

!! ॐ  नमः शिवाय !!
महामृत्युंजय मंत्र-
 दोस्तों आपने महामृत्युंजय मंत्र तो सुना ही होगा और हो सकता है आप इसे हमेशा सुनते या गाते भी होंगे, पर क्या आप जानते हैं कि इस महा मंत्र के महा गुण क्या है, आइये आज हम बात करते हैं महामृत्युंजय मंत्र के बारे में।

महामृत्युंजय मंत्र-  
                           ॐ त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम,

                            उर्वारुकमिव बन्धनान, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।

अर्थ - हम देवो के देव महादेव भगवान शंकर की आराधना करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन का संचार करते हैं, जो अपनी शक्ति से सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण करते हैं, हम उनसे यही प्रार्थना करते हैं कि  वे हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त कर दें, और हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।  जिस तरह एक ककड़ी अपनी बेल में पाक जाने के पश्चात् उस बेल रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार रूपी बेल में पक जाने के पश्चात जन्म- मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाए और आपके चरणों की अमृतधारा को पाकर शरीर का त्याग करके आप में ही लीन हो जाए।


महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव - महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भगवान शिव को प्रसन्नता  होती है, इस मंत्र के प्रभाव से इंसान अकाल मृत्यु से बच जाता है।  मरता हुआ व्यक्ति भी शिव की कृपा से मृत्यु से बच जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख बार उच्चारण  करने से किसी भी प्रकार की बीमारी, दुर्घटना, अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव, मौत की सम्भावना से बचा जा सकता है। 

महामृत्युंजय मंत्र का जप करना बहुत फलदायी है, परन्तु इसमें भी कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक है, अन्यथा इससे आपको हानि भी पहुँच सकती है, जैसे की महामृत्युंजय मंत्र के उच्चारण में ध्यान रखना चाहिए,
एक भी शब्द गलत होने पर इसका उल्टा असर भी हो सकता है, इसलिए अगर आप इसका जाप नहीं कर पा रहे हैं तो किसी पंडित से करवाएं। जाप करने की जगह बदलते मत रहिये, हमेशा एक ही स्थान पर इसका जाप किया जाना चाहिए। 
अतः जाप शुरू करने से पहले आपको किसी विद्वान् पंडित से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए या फिर पंडित से ही जाप करवाना चाहिए। 

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